देहरादून: उत्तराखंड के देहरादून शहर में फुट, हैंड और माउथ डिजीज संक्रमण यानी हाथ पैर मुंह की बीमारी बच्चों में फैल रही है. इस बीमारी से संक्रमित 5 से 15 साल की आयु के बच्चे दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की पीडियाट्रिक ओपीडी में रोजाना पहुंच रहे हैं. बाल रोग विशेषज्ञों की तरफ से अभिभावकों को बच्चों के प्रति सावधानी बरतने की भी सलाह दी जा रही है. इस बीमारी से संक्रमित तीन से चार बच्चे रोजाना अस्पताल की ओपीडी में पहुंच रहे हैं.
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ और पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अशोक ने बताया कि मौसम में हुए बदलाव की वजह से वायरल लोड तेजी से बढ़ जाता है. तब इस संक्रमण के पनपने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि हैंड, फुट, माउथ डिजीज के जब तक शरीर की तीन से चार जगहों पर लक्षण दिखाई नहीं देते, तब तक इस संक्रमण के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. किसी बच्चे के मुंह में अगर छाले हों तो उसे हैंड, फुट, माउथ डिजीज संक्रमण नहीं कहा जा सकता है. हाथ की हथेली यानी पाम, पैर के तलवे और मुंह में दर्दनाक छाले दिखाई देने के बाद ही इस डिजीज की पुष्टि की जा सकती है.
डॉक्टर अशोक के मुताबिक, अस्पताल की ओपीडी में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादा आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अत्यधिक संक्रामक वायरल, संक्रमण के लक्षणों वाले बच्चों को सिंप्टोमेटेकली ट्रीटमेंट दिया जाता है. यह स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में बहुत तेजी और बहुत आसानी से एक दूसरे में फैलता है. स्कूल जाने वाले बच्चों में हैंड, फुट, माउथ डिजीज के फैलने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. ऐसे बच्चों को 5 से 7 दिन तक अभिभावकों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए, ताकि संक्रमण का फैलाव ना हो सके. बच्चे को खूब सारे तरल पदार्थ पीने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके.
इस डिजीज में हाई ग्रेड फीवर और दर्दनाक छालों की वजह से बच्चे सबसे पहले भोजन करना छोड़ देते हैं. इस स्थिति में उन्हें पानी खूब पिलाएं और समय-समय पर लिक्विड डाइट देते रहें. हालांकि, इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है. अभिभावकों को अगर बच्चे में बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम के साथ शरीर में लाल फफोले या मुंह पर दर्दनाक छाले दिखाई दे रहे हों तो उसे स्कूल नहीं भेजें और तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं








