देहरादून: उत्तराखंड के देहरादून नगर निगम में हुए स्वच्छता समिति वेतन घोटाले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में पता चला कि शहर के 100 वार्डों में से 31 वार्डों में 99 फर्जी सफाई कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों रुपये वेतन के रूप में निकाले गए। यह घोटाला करीब 9 करोड़ रुपये का है।
कैसे हुआ घोटाला?
नियमों के अनुसार, कर्मचारियों का वेतन सीधे उनके बैंक खाते में जाना चाहिए था, लेकिन जून 2019 से नियम बदल दिए गए और पूरा भुगतान स्वच्छता समितियों को सौंप दिया गया। इसके बाद निगम ने कर्मचारियों की सूची के आधार पर एकमुश्त राशि समिति के खाते में डाल दी, जिससे फर्जीवाड़ा लंबे समय तक चलता रहा।
वार्डों की सूची
जांच में सामने आया कि यह घोटाला निम्न वार्डों में हुआ :- मालसी- दून विहार- विजय कॉलोनी- श्रीदेव सुमन- वसंत विहार- पंडितवाड़ी- इंद्रा नगर- कांवली- राजीव नगर- लाडपुर- नेहरूग्राम- रायपुर- मोहकमपुर- चक तुनवाला-मियांवाला- लोहिया नगर- माजरा- भारूवाला ग्रांट- बंजारावाला- मोथरोवाला- पित्थूवाला- मेहूंवाला-1- मेहूंवाला-2- आरकेडिया-1- आरकेडिया-2- नत्थनपुर-1- नत्थनपुर-2- नवादा- हर्रावाला- बालावाला- नकरौंदा- नथुवावाला
मामले में क्या हुई कार्रवाई
पुलिस ने स्वच्छता समितियों के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष से पूछताछ कर वेतन भुगतान का हिसाब-किताब खंगाला। अब जांच सीधा उन लोगों पर टिकी है जिनके हस्ताक्षरों के आधार पर करोड़ों रुपये समिति खातों में ट्रांसफर किए गए। तीन माह पहले उप नगर आयुक्त गौरव भसीन ने शहर कोतवाली में तहरीर दर्ज कराई थी।
घोटाले का राजनीतिक असर
इस घोटाले ने न केवल नगर निगम प्रशासन की नींद उड़ा दी है, बल्कि राजनीतिक हलचल भी तेज कर दी है। जिन वार्डों में यह गड़बड़ी सामने आई है, उनमें से कई वार्डों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के वरिष्ठ पार्षद काबिज रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इस मामले का राजनीतिक असर और गहराने की संभावना है ।








