हरिद्वारः उत्तराखडं के हरिद्वार नगर निगम में एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है, जिसमें 33 बीघा जमीन की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया गया है। इस मामले में उत्तराखंड शासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए तीन आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी समेत 10 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। मामले में अब विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विभागीय जांच के लिए उत्तराखंड शासन ने जांच अधिकारी भी नामित कर दिए हैं।
घोटाले का विवरण
हरिद्वार नगर निगम ने 2024 में सराय ग्राम में 33 बीघा जमीन 54 करोड़ रुपये में खरीदी थी। आरोप है कि इस जमीन की मार्केट वैल्यू करीब 13 करोड़ रुपये थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे 54 करोड़ रुपये में खरीद लिया। इस मामले में जांच के बाद पाया गया कि अधिकारियों ने जमीन खरीदने में अनियमितता की है।
वहीं मामले में गृह विभाग से जारी आदेश के अनुसार प्रथम दृष्टया संलिप्तता पाए जाने के आधार पर तत्कालीन उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह के खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाही चालू की गई है. उन्हें पूर्व में आरोप पत्र जारी करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था, जिसके जवाब में अजयवीर सिंह ने 16 सितंबर 2025 को अपना लिखित जवाब प्रस्तुत करते हुए सभी आरोपों को अस्वीकार किया था।
शासन ने अब इस मामले में निष्पक्ष जांच करने के लिए अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव को अजयवीर सिंह के खिलाफ जांच अधिकारी नियुक्त किया है. साथ ही अपर सचिव को एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
की गई कार्रवाई
उत्तराखंड शासन ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए निम्नलिखित अधिकारियों को निलंबित किया है:
- कर्मेन्द्र सिंह: जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार
- वरुण चौधरी: तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार
- अजयवीर सिंह: तत्कालीन उप जिलाधिकारी हरिद्वार
- निकिता बिष्ट: वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार
- विक्की: वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
- राजेश कुमार: रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार
- कमलदास: मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
- आनंद सिंह मिश्रवाण: प्रभारी अधिशासी अभियंता
- लक्ष्मी कांत भट्ट: कर एवं राजस्व अधीक्षक
- दिनेश चंद्र कांडपाल: अवर अभियंता
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
हरिद्वार नगर निगम भूमि घोटाला एक गंभीर मामला है, जिसमें अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितता का पर्दाफाश हुआ है। उत्तराखंड शासन की कड़ी कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकार भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर कार्य कर रही है। इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई से यह पता चलेगा कि इस घोटाले में कौन-कौन शामिल थे और उन्हें क्या सजा मिलेगी।








