देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी नौकरी पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले बेरोजगार युवाओं के सपने नकल माफिया चूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में लगातार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं और लगातार भर्ती परीक्षा सवालों के कटघरे खड़ी रही है। ऐसा ही आज 21 सितंबर को आयोजित हुई उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की पेपर को लेकर हुआ है।
परीक्षा के दौरान पेपर लीक का दावा
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामले को लेकर दावा किया है। दरअसल, यूकेएसएसएससी का एग्जाम रविवार सुबह 11 बजे प्रदेश के 445 केंद्रों में आयोजित हुआ। लेकिन बेरोजगार संघ का दावा है कि परीक्षा शुरू होने के करीब आधे घंटे बाद ही 11:35 बजे पेपर का एक सेट लिक हो गया।
सचिवालय कूच का ऐलान
पेपर लीक का दावा करने के बाद अब बेरोजगार संघ ने 22 सितंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड में इकट्ठा होकर सचिवालय कूच करने का ऐलान किया है। साथ ही इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग रखी है।
हरिद्वार के एक सेंटर से पेपर लीक
बेरोजगार संघ का मानना है कि हरिद्वार के एक सेंटर से पेपर लिक हुआ है। जिसके बाद बाद बेरोजगार संघ दावा कर रहा है कि पेपर की गोपनीयता भंग हुई है। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल का कहना है कि जो पेपर बाहर आया था, और परीक्षा में अभ्यर्थियों के मिले पेपर का मिलान किया गया तो कई प्रश्न मिल रहे हैं।
एसटीएफ को उपलब्ध कराया था ऑडियो
इससे पहले 20 सितंबर को देहरादून पुलिस और एसटीएफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यूकेएसएसएससी एग्जाम से पहले अभ्यर्थियों के साथ ठगी करने वाले दो आरोपी पंकज गौड़ और हाकम सिंह की गिरफ्तारी की थी। हालांकि, इस मामले पर बेरोजगार संघ का कहना है कि उन्होंने इस खुलासे से पहले 9 सितंबर को एसटीएफ को एक ऑडियो दिया था, जिसमें पंकज गौड़ यूकेएसएसएससी पेपर देने वाले किसी अभ्यर्थी को अपने जाल में फंसा रहा है और 15 लाख रुपए की डिमांड के साथ देहरादून बुला रहा है।
पुलिस की जांच
पुलिस ने इस मामले में एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में पाया कि पेपर के फोटो सर्वप्रथम सुमन नाम की एक महिला के पास आए थे, जो टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। पुलिस ने अभियोग पंजीकृत कर लिया है और अभियुक्तों की पहचान कर ली है।
अब तक की जांच में कोई संगठित गिरोह नहीं
अब तक की प्रारंभिक जांच में उक्त प्रकरण में किसी भी संगठित गिरोह अथवा पेपर लीक करने वाले गैंग की संलिप्तता नहीं पाई गई है। उक्त प्रकरण में किसी एक सेंटर से किसी व्यक्ति द्वारा प्रश्नपत्र के कुछ प्रश्नों की फोटो लेकर भेजा जाना प्रकाश में आया है। प्रकरण में सम्मिलित अभियुक्तों की पहचान करते हुए पुलिस को उनके विरूद्ध पुख्ता साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिनकी गिरफ्तारी हेतु टीमें गठित कर रवाना की गई हैं।
बेरोजगार संघ की मांग
बेरोजगार संघ ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग रखी है। संघ का कहना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं आ सकती है। संघ ने सरकार से मांग की है कि वह इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे और दोषियों को सजा दिलाए।








